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Monday 4 January 2016

डा रंगनाथ मिश्र सत्य ...मुख्यमंत्री को श्रीकृष्ण का केलेंडर व पुस्तक अर्पित की ..... डा श्याम गुप्त ....

हिन्दी दिवस के अवसर पर साहित्यभूषण सम्मान से अलंकृत होने पर डा रंगनाथ मिश्र सत्य ...मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को श्रीकृष्ण का केलेंडर व पुस्तक भेंट करते हुए .....


                             


Thursday 31 December 2015

नव वर्ष की शुभकामनाएं ---डा श्याम गुप्त .....

        
                                                   नव वर्ष की शुभकामनाएं


                                             

Friday 27 November 2015

अगीत की शिक्षाशाला --कार्यशाला --२९... सतत लगन, श्रम व धैर्य एवं प्रतिभा का अंततः सुपरिणाम ..डा श्याम गुप्त ...

 

                         सतत लगन, श्रम व धैर्य एवं प्रतिभा का अंततः सुपरिणाम

                     

               अविचल भाव से हिन्दी साहित्य में नयी नयी विधाओं को समर्पित करने वाले , हिन्दी भाषा व काव्य सेवी, अगीत कविता विधा के संस्थापक , संतुलित कहानी व संघात्मक समीक्षा के जनक  वरिष्ठ साहित्यकार ड़ा रंगनाथ मिश्र 'सत्य' को उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा "साहित्य-भूषण" सम्मान-2014. प्रदत्त |

डा रंगनाथ मिश्र सत्य के हाइकू......डा श्याम गुप्त....

 डा रंगनाथ मिश्र सत्य के हाइकू....


मैं जानता हूँ
तुम्हारी हर चाल
पहचानता हूँ |

कहता नहीं
लेकिन कहना भी
नहीं चाहता |

हंसीं उड़ाते हैं
मेरी सहजता की
वे लगातार

सहजता ही
मनुष्य की होती है
सहज मित्र

 बढजाती है
मनुष्य की आयु भी
प्राणायाम से

जीवन जियो
सच्चाई के साथ ही
सुखी रहोगे

त्याग तपस्या
बेकार न समझें
कभी भी मित्र

चलते रहें
कर्म के पथ पर
सुख मिलेगा

 योग करिए
जीवन सुधारिए
स्वस्थ रहिये 

Sunday 22 November 2015

माननीय मुलायम सिंह यादव जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएं ...डा श्याम गुप्त

                                        जन्मदिवस की शुभकामनाएं


                               गाँव गाँव हर शहर शहर की गली गली में डोलेंगे |
                    फ़ैल रहा जो जहर देश में उसमें अमृत घोलेंगे |
                     हर मज़हब के रहने वाले एक सूत्र में बंधे रहें |
                     कन्या से कश्मीर की घाटी तक हम हल्ला बोलेंगे ||
                                                                  ---डा रंगनाथ मिश्र ‘सत्य’


           Drshyam Gupta's photo. 

                               परम आदरणीय माननीय मुलायम सिंह यादव जी पूर्व मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश एवं पूर्व रक्षामंत्री भारत सरकार को उनके ७७वें जन्मदिवस पर बधाई एवं शत शत अभिनन्दन | वे शतायु होकर प्रदेश, देश-राष्ट्र, हिन्दी भाषा व साहित्य की अहर्निश सेवा करते रहें, ऐसी हमारी कामना है |
दिनांक -२२-११-२०१५ई.                                                                   -----डा रंगनाथ मिश्र ‘सत्य

 
सद्भावी .... 

Drshyam Gupta's photo. 
साहित्यभूषण डा रंगनाथ मिश्र ‘सत्य’-संस्थापक अध्यक्ष, अखिल भारतीय अगीत परिषद्, राजाजी पुरम , लखनऊ 


Drshyam Gupta's photo. 
महाकवि डा श्याम गुप्त – सदस्य, अखिल भा.अगीत परिषद् , लखनऊ

 
Drshyam Gupta's photo. 
समीक्षक श्री पार्थोसेन - सदस्य अखिल भा.अगीत परिषद् , लखनऊ

Wednesday 7 October 2015

चाय पर साहित्यिक चर्चा ..डा श्याम गुप्त...

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                                                  चाय पर चर्चा

                                  उ.प्र.हिन्दी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण पुरस्कार से सम्मानित, लखनऊ के चर्चित वरिष्ठ साहित्यकार एवं अगीत कविता विधा के संस्थापक एवं संतुलित कहानी तथा संघीय समीक्षा पद्धति के जनक.. साहित्यभूषण डा रंगनाथ मिश्र ‘सत्य’ को मैंने सोमवार ०५-१०-१५ को अपने घर पर चाय पर आमंत्रित किया | डा रंगनाथ मिश्र को साहित्यभूषण पुरस्कार मिलना अगीत-विधा की सम्पूर्ण स्वीकृति के साथ साथ, साहित्य की सभी विधाओं में पारंगत एक कर्मठ, कर्मयोगी की भांति चुपचाप, निरंतर, बिना लाग-लपेट, सभी कवियों साहित्यकारों व विधाओं के साथ सहज, समन्वय व समभाव से व्यवहार करने वाले सरल ह्रदय, उदारमना एवं हिदी साहित्य में एक दुर्लभ व विरले साहित्यकार का सम्मान है, जो हिन्दी व साहित्य का सम्मान ही है |
                               चाय की चुस्कियों के मध्य साहित्य व गीत की वर्त्तमान स्थिति एवं अगीत पर चर्चा हुई | डा सत्य ने बताया कि १९६० ई में भारतीय दर्शन के विचारों से ओत-प्रोत अगीत का सूत्रपात मैंने इसलिए किया कि अनाटक, अकविता, अकहानी जैसे आंदोलन पाश्चात्य नक़ल पर चल रहे थे | अगीत का सम्बन्ध मनुष्य की आस्था से है, भारतीयता से है, उसकी संस्कृति से है | अतः अगीत- हिन्दी व हिन्दी साहित्य के लिए विकास व उसे गति देने में सहायक व सक्षम है और इसीलिये यह विश्व भर में फ़ैल चुका है | गीत में 'अ' प्रत्यय लगा कर मैंने अगीत को संज्ञा के रूप में स्वीकार किया | अगीत, गीत नहीं के रूप में न लिया जाय | यह एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसने संक्षिप्तता को ग्रहण किया है, सतसैया के दोहरे की भांति |
                             अगीत की सम्पूर्ण स्वीकृति के सम्बन्ध में डा सत्य ने स्पष्ट किया कि यूं तो आज अगीत विधा नई नहीं रही वह पहले ही अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर आलोकित है | आज विश्व भर में अगणित कवि व साहित्यकार अगीत कविता में रचनारत हैं | इसमें लगभग १०० से अधिक पुस्तकें रची जा चुकी हैं जिनमें श्री जगतनारायण पांडे के एवं आपके स्वयं के ( मेरे –डा श्याम गुप्त) रचित महाकाव्य व खंडकाव्य तथा अगीत का प्रथम शास्त्रीय ग्रंथ छंद विधान “अगीत साहित्य दर्पण” हैं | अभी हाल में ही बुद्धकथा पर कुमार तरल का अगीत महाकाव्य का लोकार्पण हुआ है | परन्तु पुरस्कार व सम्मान निश्चय ही किसी कवि, साहित्यकार, काव्य व विधा को नवीन गति प्रदान करते हैं | अतः इसे अगीत-विधा का भी विधिवत सम्मान समझा जायगा |
मेरे शीघ आने वाले प्रेम व श्रृंगार गीतों की कृति ‘तुम तुम और तुम’ के सन्दर्भ में गीत के प्रश्न पर उनका मत था कि गीत मृत्युंजय है | गीत परंपरा सदैव की भांति जीवित रहेगी | गीत व अगीत का अथवा नयी कविता का आपस में कोई मतभेद नहीं है न तुकांत व अतुकांत छंद या कविता में | सभी साहित्य की विविध कोटियाँ हैं, सभी आदर की पात्र हैं | मेरे सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘कुछ शायरी की बात होजाए’ के सन्दर्भ में उनका मत था कि हिन्दी ग़ज़ल को भी पुरा उर्दू नियमों व अप्रचलित फारसी उर्दू के शब्दों से मुक्त किया जाना चाहिए | प्रगति के लिए यह आवश्यक है |
                               लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा ‘डा श्याम गुप्त के व्यक्तित्व व कृतित्व’ पर की गयी शोध पर चर्चा करते हुए मैंने उन्हें बताया कि इसमें वस्तुपरक व शिल्प परक अध्ययन में मेरे अगीत महाकाव्य सृष्टि व अगीत खंडकाव्य शूर्पणखा का विशद व व्याख्यायित रूप में उल्लेख किया गया है | सृष्टि को कामायनी की भांति एक शोध-प्रबंध कहा गया है | मेरे द्वारा नवीन सृजित अगीत के विविध छंदों का उल्लेख करते हुए ‘अगीत पर अलग से शोध की आवश्यकता है’ कहा गया है | महाकाव्य प्रेमकाव्य में ‘प्रेम-अगीत’ खंड में प्रयुक्त के ‘लयबद्ध अगीत छंद’ का भी उल्लेख है| ब्रजभाषा काव्य-ब्रजबांसुरी के अगीत में लिखित द्रौपदी के पत्र को सोदाहरण प्रस्तुत किया गया है |

चित्र-- चाय पर चर्चारत --साहित्यभूषण डा रंगनाथ मिश्र सत्य व डा श्याम गुप्त ...
Drshyam Gupta's photo.
Drshyam Gupta's photo.

Sunday 4 October 2015

साहित्य भूषण--डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'....डा श्याम गुप्त ....

साहित्य भूषण--डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'
                                  अगीत कविता विधा के संस्थापक लखनऊ , उप्र...के डा रंगनाथ मिश्र ....जो डा सत्य के नाम से प्रसिद्द है व लखनऊ व सारे देश में गुरूजी के नाम से जाने पहचाने जाते हैं को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ...२०१५ का साहित्यभूषण पुरस्कार प्रदत्त ...