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Tuesday 9 August 2016

साहित्यभूषण डा रंगनाथ मिश्र सत्य का एक नवगीत----- डा श्याम गुप्त....

साहित्यभूषण डा रंगनाथ मिश्र सत्य का एक नवगीत----- 


बरस रहे मचल मचल यादों के घन |

कंपती है भादों की रात,
बतियाँ उर में शूल गयीं |
टेर उठी कान्हा की वंशी
सखियाँ सुध बुध भूल गयीं |


बहक रहा निश्वांसों का पागलपन ||

मोती ढरते आँखों से
चमकीली किरणों जैसे |
टूट गया मन का कंगन
आऊँ पास भला कैसे |

कंचनी फुहारों में परस गया तन ||

गुलाबांसों के फूल खिले,
फटा पड़ रहा नील कपास |
राग रागिनी तरुओं की
मंडराती कलियों के पास |

साँसों के घेरे में डूब गया मन |
बरस रहे मचल मचल यादों के घन ||

Monday 22 February 2016

साहित्यकार डा रंगनाथ मिश्र को विद्यासागर की उपाधि....डा श्याम गुप्त

साहित्यकार डा रंगनाथ मिश्र को उपाधि ---

                 विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर द्वारा दिनान्क २०-२-२०१६ को साहित्यमूर्ति साहित्यभूषण डा रंगनाथ मिश्र सत्य को विद्यासागर उपाधि ( डी.लिट्.) से अलंकृत करके गौरव प्रदान किया गया |
           हिन्दी साहित्य में अगीत-काव्य के संस्थापक दृष्टा साहित्यकार व युग प्रवर्तक डा रंगनाथ मिश्र सत्य को डा श्याम गुप्त एवं गुरुवासरीय साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था, आशियाना, लखनऊ की ओर से बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित हैं |
 
 

Sunday 4 October 2015

साहित्य भूषण--डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'....डा श्याम गुप्त ....

साहित्य भूषण--डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'
                                  अगीत कविता विधा के संस्थापक लखनऊ , उप्र...के डा रंगनाथ मिश्र ....जो डा सत्य के नाम से प्रसिद्द है व लखनऊ व सारे देश में गुरूजी के नाम से जाने पहचाने जाते हैं को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ...२०१५ का साहित्यभूषण पुरस्कार प्रदत्त ...