{ अगीत विधा कविता में अगीत , लयबद्ध अगीत
,गतिमय सप्तपदी अगीत , लयबद्ध षट्पदी अगीत , नव-अगीत, त्रिपदा अगीत आदि
छः प्रकार के अतुकांत छंद प्रयोग होरहे हैं एवं सातवीं विधा 'त्रिपदा अगीत
ग़ज़ल' है|)
कार्यशाला -८ --हिन्दी हिन्दवासियों की चेतना का मूल मन्त्र...
" अंग्रेज़ीआयाने,
हिन्दीमांको, घरसेनिकाला;
देकर, फास्ट-फ़ूड ,पिज्जा, बर्गर -
क्रिकेट, केम्पा-कोला, कम्प्यूटरीकरण ,
उदारीकरण, वैश्वीकरण
काहवाला |
"
------ड़ाश्यामगुप्त
"देव नागरी को अपनाएं
हिन्दी है जन जन की भाषा ,
भारत माता की अभिलाषा |
बने राष्ट्रभाषा अब हिन्दी,
सब बहनों की बड़ी बहन है
हिन्दी सबका मानबढाती ,
हिन्दी का अभियान चलायें|"
--- डा
रंगनाथ मिश्र 'सत्य'