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Monday, 13 August 2012

साहित्य मूर्ति डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य' पर पुस्तक का लोकार्पण एवं सृजन संस्था का वार्षिक सम्मान समारोह ....डा श्याम गुप्त ..






लोकार्पित पुस्तक
                              लखनऊ की युवा साहित्यकारों की संस्था सृजन का वार्षिकोत्सव स्थानीय गांधी संग्रहालय के सभा-भवन में दि. १२-८-१२ को संपन्न हुआ |  जिसमें संस्था के संरक्षक, हिन्दी कविता में अगीत-विधा के संस्थापक कविवर डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य' को समर्पित पुस्तक  " साहित्य -मूर्ति  डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'"   का लोकार्पण हुआ तथा संस्था के वार्षिक सम्मान ---' सृजन साधना वरिष्ठ रचनाकार सम्मान'....लखनऊ के  कविवर  श्री सूर्य-प्रसाद  मिश्र  'हरिजन'  को  तथा  'सृजन साधना युवा रचनाकार सम्मान'.....गोंडा के  उदीयमान युवाकवि श्री जयदीप सिंह 'सरस' को प्रदान किया गया | इस अवसर पर डा रंगनाथ मिश्र सत्य का सारस्वत सम्मान भी किया गया
पुस्तक का लोकार्पण --श्री गधाधर नारायण, प्रोफ मौ.मुजम्मिल, विनोद चन्द्र पांडे ,महेश चन्द्र द्विवेदी , रामचंद्र शुक्ल, डा सत्य , डा योगेश व  देवेश द्विवेदी
                  समारोह की  अध्यक्षता  महाकवि श्री विनोद चन्द्र पांडे ने की, मुख्य अतिथि  रूहेल खंड विश्व-विद्यालय के कुलपति एवं देश के जाने-माने अर्थ शास्त्री व साहित्यकार श्री मोहम्मद मुजम्मिल थे | विशिष्ट अतिथि लखनऊ वि.वि के हिन्दी  विभाग की  पूर्व प्राचार्या प्रोफ. उषा सिन्हा, पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री महेश चन्द्र द्विवेदी , श्री गदाधर नारायण सिन्हा, पूर्व न्यायाधीश श्री राम चन्द्र शुक्ल थे |

                  संस्था के अध्यक्ष डा योगेश गुप्त ने अथितियों का स्वागत करते हुए संस्था के कार्यों व उद्देश्यों का विवरण दिया | संचालन संस्था के महामंत्री श्री देवेश द्विवेदी 'देवेश' द्वारा किया गया |  वाणी  वन्दना सुप्रसिद्ध संगीतकार श्रीमती कमला श्रीवास्तव द्वारा की गयी |
समाम्नित साहित्यकार--साथ में  डॉ योगेश गुप्त , प्रोफ. उषा सिन्हा व प्रोफ मौ.मुजम्मिल
                         समारोह के  मुख्य वक्ता  के रूप में वैदिक विद्वान श्री धुरेन्द्र स्वरुप बिसरिया,  वरिष्ठ कवि व साहित्यकार  डा श्याम गुप्त,   श्रीमती स्नेहप्रभा  एवं  संघात्मक समीक्षा पद्धति  के समीक्षक श्री पार्थोसेन  ने  साहित्य-मूर्ति डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य'  तथा  सम्मान प्राप्त साहित्यकारों की साहित्य साधना की चर्चा की  एवं लोकार्पित पुस्तक प्रति अपने विचार रखे  |
                         डा श्याम गुप्त  ने संस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्था  वरिष्ठ व युवा रचनाकारों के मध्य एक सेतु का कार्य कर रही है  जो हिन्दी, हिन्दी साहित्य  व राष्ट्र की सेवा का एक महत्वपूर्ण आयाम है|   अपने वक्तव्य  "'अगीत के अलख निरंजन डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य' "  पर बोलते हुए उन्होंने डा सत्य के विभिन्न नामों व उपाधि-नामों पर चर्चा करते हुए बताया कि डॉ सत्य के आज तक जितने नामकरण हुए हैं उतने शायद ही किसी साहित्यकार के हुए हों |
                     इस अवसर पर बोलते हुए प्रोफ. मोहम्मद मुजम्मिल ने बताया कि जिस प्रकार देश में आर्थिक उदारीकरण  हुआ उसी प्रकार साहित्य में भी  काव्य में  उदारीकरण  डा रंगनाथ मिश्र  द्वारा स्थापित विधा अगीत ने   किया है |
                     सम्मानित  कवियों व डा रंग नाथ मिश्र द्वारा काव्य-पाठ भी किया गया | धन्यवाद ज्ञापन संस्था के उपाध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव  ने किया |



डा रंग नाथ मिश्र 'सत्य' - काव्य-पाठ