अगीत की शिक्षा शाला ---कार्यशाला --३५...
----लखनऊ विश्वविद्यालय
के शोधप्रबंध में अगीत का उल्लेख ----
१. - पृष्ठ १८— “ड़ा
श्याम गुप्त ने कई नवीन छंदों की सृष्टि भी की है | उदाहरणार्थ गीति-विधा के ‘पंचक
सवैया’ एवं ‘श्याम सवैया छंद’ आदि तथा अगीत-विधा के ‘लयबद्ध-अगीत’, ‘षटपदी-अगीत’ ,
‘त्रिपदा-अगीत’, ‘नव-अगीत छंद’ व ‘त्रिपदा अगीत ग़ज़ल’ आदि भी लिखे हैं | अगीत पर
पृथक शोध की आवश्यकता है |
…
२. - पृष्ठ -४०..”.प्रेम अगीत में ड़ा श्यामगुप्त ने अगीत-विधा
में अपने स्वयं सृजित नवीन छंद ‘लयबद्ध अगीत‘ में प्रेम के विविध भावों को सरस
गीतिमयता द्वारा अभिव्यक्त किया है |”
३.---- शोध प्रबंध
में अगीत महाकाव्य ‘सृष्टि –ईशत इच्छा या बिगबेंग-एक अनुत्तारित उत्तर‘ एवं अगीत
खंडकाव्य ‘शूर्पणखा’ की विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की गयी
है |
पृष्ठ-१८ पर अगीत छंदों का वर्णन एवं
४६ पर अगीत का उदहारण व पृष्ठ ८५ पर अगीत कृतियों का विवरण ---
:
सन्दर्भ –लखनऊ
विश्वविद्यालय,लखनऊ..शोध प्रबंध, डा. श्याम गुप्त का व्यक्तित्व एवं कृतित्व: एक
अध्ययन-2015 ई. ..शोधार्थी-अर्चना कुमारी एम् ऐ हिन्दी, निर्देशक
–प्रोफ. पवन अग्रवाल एम् ऐ ,पीएचडी(हिन्दी) हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग |
No comments:
Post a Comment