अगीत की शिक्षाशाला ....कार्यशाला २३.....कुछ नए अगीत ....
शिकायत
कुछ नहीं कहने को है आज,
इन जंगलों के पास,
केवल शिकायत के
निशब्द काव्य, कथाएं वार्तालाप
ढूंढते थे शान्ति जिनमें
ऋषि मुनि सन्यासी...
और कवि | ....सुषमा गुप्ता
श्रृद्धा
श्रृद्धा का जन्म होता है
आस्था और विश्वास से ,
श्रृद्धा के अभाव में
नहीं होता है जन्म
सदविचारों का |
श्रृद्धा से ही उत्पन्न होती है -आस्था,
करती है जन जन को
बल प्रदान;
आस्था श्रृद्धा से
तुलसी मीरा हुए महान | ..........एम् एम कपूर
आरोप
आरोप नही कि
कुछ नारियां बंदिशों को तोड़
बंधन मुक्त रहना चाहती हैं,
किन्तु वह नारी क्या करे ?
आज का मानव 'राम' नहीं ,
और वह सीता नहीं |
क्योंकि आज मानव ने
पाश्चात्य सभ्यता की चादर ओढ़ रखी है ,
नारी को साडी की जगह
पेंट पहना रखी है | ------- .एम् एम कपूर
क्यों मौन
हे जीवन के कटु सत्य
क्यों तुम मौन,
कुछ बोलते क्यों नहीं
आखिर तुम कौन हो ?
मैं अभी परिपक्व नहीं
जो तुम्हारी भाषा को जानूं
तुम्हें पहचानूं | -----विजय कुमारी मौर्या 'विजय'
साथ
वह हर घटना तुन्हारी
जो मुझसे सम्बन्ध रखती है ,
मुझे बताओ, समझाओ सिखाओ, दिखाओ,
क्योंकि-
मैं तुम्हारे कदम से कदम मिलाकर
चल सकूं,
अंत तक तुम्हारा साथ दे सकूं | -----विजय कुमारी मौर्या 'विजय'
नव वर्ष
नव वर्ष
नव सौगातें लाये,
नित पुष्प खिलाए
प्रीति जगाये
नव सूर्य उगाये
तामस बिनसाये | ------डा मिर्ज़ा हसन नासिर
श्रम अगीत
खून पसीना एक करे
जो निद्रा लेवे कम,
आलस त्याग कर हिम्मत बांधे
वह है सच्चा श्रम | ----- सुभाष हुड़दंगी
शिकायत
कुछ नहीं कहने को है आज,
इन जंगलों के पास,
केवल शिकायत के
निशब्द काव्य, कथाएं वार्तालाप
ढूंढते थे शान्ति जिनमें
ऋषि मुनि सन्यासी...
और कवि | ....सुषमा गुप्ता
श्रृद्धा
श्रृद्धा का जन्म होता है
आस्था और विश्वास से ,
श्रृद्धा के अभाव में
नहीं होता है जन्म
सदविचारों का |
श्रृद्धा से ही उत्पन्न होती है -आस्था,
करती है जन जन को
बल प्रदान;
आस्था श्रृद्धा से
तुलसी मीरा हुए महान | ..........एम् एम कपूर
आरोप
आरोप नही कि
कुछ नारियां बंदिशों को तोड़
बंधन मुक्त रहना चाहती हैं,
किन्तु वह नारी क्या करे ?
आज का मानव 'राम' नहीं ,
और वह सीता नहीं |
क्योंकि आज मानव ने
पाश्चात्य सभ्यता की चादर ओढ़ रखी है ,
नारी को साडी की जगह
पेंट पहना रखी है | ------- .एम् एम कपूर
क्यों मौन
हे जीवन के कटु सत्य
क्यों तुम मौन,
कुछ बोलते क्यों नहीं
आखिर तुम कौन हो ?
मैं अभी परिपक्व नहीं
जो तुम्हारी भाषा को जानूं
तुम्हें पहचानूं | -----विजय कुमारी मौर्या 'विजय'
साथ
वह हर घटना तुन्हारी
जो मुझसे सम्बन्ध रखती है ,
मुझे बताओ, समझाओ सिखाओ, दिखाओ,
क्योंकि-
मैं तुम्हारे कदम से कदम मिलाकर
चल सकूं,
अंत तक तुम्हारा साथ दे सकूं | -----विजय कुमारी मौर्या 'विजय'
नव वर्ष
नव वर्ष
नव सौगातें लाये,
नित पुष्प खिलाए
प्रीति जगाये
नव सूर्य उगाये
तामस बिनसाये | ------डा मिर्ज़ा हसन नासिर
श्रम अगीत
खून पसीना एक करे
जो निद्रा लेवे कम,
आलस त्याग कर हिम्मत बांधे
वह है सच्चा श्रम | ----- सुभाष हुड़दंगी
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