अगीत की शिक्षा शाला --
{ अगीत विधा कविता में अगीत , लयबद्ध अगीत ,गतिमय सप्तपदी अगीत , लयबद्ध षट्पदी अगीत , नव-अगीत, त्रिपदा अगीत आदि छः प्रकार के अतुकांत छंद प्रयोग होरहे हैं एवं सातवीं विधा 'त्रिपदा अगीत ग़ज़ल' है|)
कार्यशाला १०.... त्रिपदा अगीत ....
त्रिपदा अगीत ....प्रत्येक पंक्ति में १६-१६ निश्चित मात्राओं एवं निश्चित तीन पंक्तियों वाला यह संक्षिप्त अतुकांत ,अगीत छंद ...त्रिपदा-अगीत है जिसमें तुकांतता का बंधन नहीं होता|
क्रांतिकारी, पत्रकार, साहित्यकार , समाजसेवी व कवि पद्मश्री पं.वचनेश त्रिपाठी जो
अगीत आंदोलन व अगीतायन से जुड़े थे एवं वरिष्ठ परामर्शदाता थे ; उनके निधन (
सन २००६ई) पर श्रृद्धांजलि समारोह के अवसर पर उनकी स्मृति में मैंने ( डा श्याम गुप्त ) एक अन्य नवीन अगीत छंद का सृजन किया | इसे 'त्रिपदा अगीत ' का नाम दिया गया | इस छंद को पं. वचनेश त्रिपाठीजी को ही समर्पित किया गया | इस छंद का रचना विधान यह है ----
१.अतुकांत छंद
२.तीन पंक्तियों से कम व अधिक नहीं
३.गतिबद्ध परन्तु गेयता का बंधन नहीं
४. सोलह-सोलह निश्चित मात्राओं की तीनों पंक्तियाँ |
यथा----
"श्वेत धवल दाडी लहराती,
भाल विशाल, उच्च आभामय ;
सच्चे निस्पृह युग-ऋषि थे वे |" ---- वचनेश त्रिपाठी के प्रति ( डा श्याम गुप्त )
प्यार बना ही रहे हमेशा ,
ऐसा सदा नहीं क्यों होता ;
सुन्दर नहीं नसीब सभी का |" ----- सुषमा गुप्ता
आँख मूद कर हुक्म बजाना,
सच की
बात न मुंह पर लाना ;
पड जाएगा कष्ट उठाना |
"
---- डा श्याम गुप्त
" नैन
नैन मिल गए सुन्दरी,
नैना लिए
झुके भला क्यों ;
मिलते क्या बस झुक जाने को |" डा श्याम गुप्त
सच की बात न मुंह पर लाना ;
पड जाएगा कष्ट उठाना | " ---- डा श्याम गुप्त
नैना लिए झुके भला क्यों ;
मिलते क्या बस झुक जाने को |" डा श्याम गुप्त
"निहारूंगा मैं
तुझे अपलक
जैसे एक अबोध तकता
है
इन्द्रधनुष
की ओर एक
टक |" .... पार्थोसेन ...
" पायल छनका कर दूर हुए,
हम कुछ ऐसे मज़बूर हुए ;
उस नाद-ब्रह्म मद चूर हुए |" ---डा श्याम गुप्त
" सावन
सूखा बीत गया तो,
दोष बहारों को मत देना ;
तुमने सागर किया प्रदूषित | "
---- डा श्याम गुप्त
हम कुछ ऐसे मज़बूर हुए ;
उस नाद-ब्रह्म मद चूर हुए |" ---डा श्याम गुप्त
दोष बहारों को मत देना ;
तुमने सागर किया प्रदूषित | " ---- डा श्याम गुप्त
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