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Wednesday, 25 April 2012

डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य' के चार अगीत....डा श्याम गुप्त



                          
                हिन्दी कविता में  अगीत विधा  के संस्थापक... कवि डा रंगनाथ मिश्र 'सत्य' के..सामाजिक सरोकार युक्त ... चार अगीत....  
           १.
जीवन में जो कुछ भी 
आज होगया घटित,
कल भी वैसा होगा 
एसा मत सोचो;
ओ मेरे विश्वासी मन
जो कुछ भी है प्राप्त हुआ
उसमें संतोष करो;
यही तो नियति है सबकी 
इस पर विश्वास करो ......।
            २.
नवल वर्ष आया है 
आओ स्वागत करलें ....
नूतन अभियान करें 
सबका सम्मान करें ;
आगे बढ़ने का भी
कुछ तो अब ध्यान करें;
पीछे जो छूट गया
उसको अब जाने दें ,
स्वागत आओ मिलकर
आगत का भी करलें ।
            ३.
आओ संघर्षों को दूर करें .....
जो दुःख मिलते हैं 
उनको स्वीकार करें....
सुख के दिन आयेंगे
उनको जीना सीखें....
सुख में इतराए  मत
दुःख में घबराये मत 
मन की पीडाएं  काफूर करें .....। 
            ४.
जन जन की पीड़ा को...
दूर करें ..।
सोये कोई यहाँ न भूखा 
इसका भी ध्यान हमें
रखना है,
कोई भी रह न सके प्यासा
इसका अभियान हमें
 करना है ,
तन मन की विपदा को 
चूर करें ..... ।