---- अगीत की शिक्षाशाला-३०-----नव अगीत---
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दिशाहीन
मस्त हैं सब -
अपने काम काज, या -
मनोरंजन में; और -
खड़े हैं हर मोड़ पर
दिशाहीन ||
..नव-अगीत छंद--- ३ से अधिक ५ से
कम पन्क्तियों वाला, अतुकान्त अगीत छन्द है -- -
यथा--
बेडियां तोडो,
ग्यान दीप जलाओ,
नारी! अब -
तुम्ही राह दिखाओ;
समाज को जोडो. । -सुषमा गुप्ता
देश की प्रगति ही,
सबका
कल्याण,
यही
हमारा उद्देश्य,
रखती हूं
मैं
इसका ध्यान । ---विजय कुमारी मौर्य ’विजय’
नवअगीत छंद ( अगीतिका से )-जगत नारायण पांडे ---
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अँधेरे में छिपा लेते हैं पाप
दिन में पर रखते हैं
चेहरा ,
हर दम साफ़ |
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सब के सब टूट गए
निष्ठा के प्रतिमान
जीवित संबंधों के
तटबंध डूब गए
स्रोत संकल्पों के रीत गए |
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सिद्धांत का अभाव
डराता है सत्य को
यही है –
सत्ता का स्वभाव |
नव-अगीत ---डा श्याम गुप्त ----
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प्रश्न
कितने शहीद ,
कब्र से उठकर पूछते हैं-
हम मरे किस देश के लिए ,
कितने शहीद ,
कब्र से उठकर पूछते हैं-
हम मरे किस देश के लिए ,
अल्लाह के, या-
ईश्वर के |
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बंधन
वह बंधन में थी ,
संस्कृति संस्कार सुरुचि के
परिधान कन्धों पर धारकर ;
अब वह मुक्त है ,
सहर्ष , कपडे उतारकर |
वह बंधन में थी ,
संस्कृति संस्कार सुरुचि के
परिधान कन्धों पर धारकर ;
अब वह मुक्त है ,
सहर्ष , कपडे उतारकर |
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दिशाहीन
मस्त हैं सब -
अपने काम काज, या -
मनोरंजन में; और -
खड़े हैं हर मोड़ पर
दिशाहीन ||
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मेरा देश कहाँ
यह अ जा का ,
यह अ ज जा का ,
यह अन्य पिछड़ों का ,
यह सवर्णों का ;
कहाँ है मेरा देश ?
यह अ जा का ,
यह अ ज जा का ,
यह अन्य पिछड़ों का ,
यह सवर्णों का ;
कहाँ है मेरा देश ?
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तुम्हारी छवि
" मन के अंधियारे पटल पर ,
तुम्हारी छवि,
ज्योति-किरण सी लहराई;
एक नई कविता,
पुष्पित हो आई ||
तुम्हारी छवि,
ज्योति-किरण सी लहराई;
एक नई कविता,
पुष्पित हो आई ||