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Friday, 28 April 2017

अगीत की शिक्षाशाला-३०-----नव अगीत--- डा श्याम गुप्त----

                              ---- अगीत की शिक्षाशाला-३०-----नव अगीत---




..नव-अगीत छंद--- ३ से अधिक ५ से कम पन्क्तियों वाला, अतुकान्त अगीत छन्द है -- -  यथा--         
           बेडियां तोडो, 
          ग्यान दीप जलाओ,
          नारी! अब -
          तुम्ही राह दिखाओ;
          समाज को जोडो.        -सुषमा गुप्ता         
  
     देश की प्रगति ही,
     सबका कल्याण,
     यही हमारा उद्देश्य,
     रखती हूं मैं
     इसका ध्यान ।  ---विजय कुमारी मौर्य ’विजय’




नवअगीत छंद ( अगीतिका से )-जगत नारायण पांडे ---
\\
अँधेरे में छिपा लेते हैं पाप
दिन में पर रखते हैं
चेहरा ,
हर दम साफ़ |
.\
सब के सब टूट गए
निष्ठा के प्रतिमान
जीवित संबंधों के
तटबंध डूब गए
स्रोत संकल्पों के रीत गए |
\
सिद्धांत का अभाव
डराता है सत्य को
यही है
सत्ता का स्वभाव |



  नव-अगीत ---डा श्याम गुप्त ----

\
प्रश्न 
कितने शहीद ,
कब्र से उठकर पूछते हैं-
हम मरे किस देश के लिए ,
अल्लाह के, या-
ईश्वर के |
\
बंधन 
वह बंधन में थी ,
संस्कृति संस्कार सुरुचि के
परिधान कन्धों पर धारकर  ;
अब वह मुक्त है ,
सहर्ष , कपडे उतारकर |

\
 
दिशाहीन  
मस्त हैं सब -
अपने काम काज, या -
मनोरंजन में; और -
खड़े हैं हर मोड़ पर
दिशाहीन || 
\
 मेरा देश कहाँ                           
यह जा का ,
यह जा का ,
यह अन्य पिछड़ों का ,
यह सवर्णों का ;
कहाँ है मेरा देश ?
\
तुम्हारी छवि
" मन के अंधियारे पटल पर ,
तुम्हारी छवि,
ज्योति-किरण सी लहराई;
एक नई कविता,
पुष्पित हो आई ||