सृजन संस्था एवं अगीत परिषद् केतत्वावधान में
लखनऊ में राजाजी पुरम के मेथमेटीकल स्टडी सर्कल में अगीतोत्सव -१५ का आयजन
हुआ | इस अवसर पर पूर्व न्यायाधीश , साहित्यकार एवं साहित्यकार कल्याण
परिषद् पत्रिका के सम्पादक श्री राम चन्द्र शुक्ल का जन्म दिवस मनाया
गयाएवं उनका सम्मान किया गया | वरिष्ठ कविश्री सुभाष हुड़दंगी
हास्य-व्यंगकार एवं उदीयमान कवि श्री मुरली मनोहर कपूर को अगीत श्री के
सम्मान से विभूषित किया गया |अध्यक्षता अगीत के संस्थापक डा रंगनाथ मिश्र
सत्य ने की, मुख्य अतिथि श्री विनोद चन्द्र विनोद पूर्व अध्यक्ष हिन्दी
संस्थान , विशिष्ठ अतिथि डा श्याम गुप्त थे |
इस अवसर पर कवि गोष्ठी का भी आयोजन किया गया |
विशिष्ट अतिथि डा श्याम गुप्त ने- गीत, अगीत, नवगीत आदि
पर वक्तव्य देते हुए स्पष्ट किया की सभी काव्य के मूल व सनातन विधा गीत की
ही शाखाएं हैं जो देश कालानुसार अपना विशिष्टरूप लेता रहता है | अगीत को
गीत नहीं के रूप में नहीं लिया जाता अपितु ले, गति व यति और भाव उसकी
विशेषताएं हैं जो किसी भी रचना की होनी चाहिए , बस तुकांतता अनिवार्य नहीं
है | उन्होंने अगीत की विभिन्न छंद-विधाओं का भी वर्णन किया |
मुख्य अतिथि श्री विनोद चन्द्र पांडे ने काव्य एवं गीत के विहंगम
रूप का दिग्दर्शन कराते हुए साहित्य व कविता की सार्वकालीन महत्ता एवं
विभिन्न विधाओं की एकरूपता पर प्रकाश डाला | अध्यक्ष डा रंगनाथ मिश्र ने
काव्य व साहित्य की सामायिक व वर्त्तमान युगीन आवश्कयताओं पर बल डाला एवं
अगीत के महत्त्व को
रेखांकित किया |
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श्री राम चन्द्र
शुक्ल का सम्मान करते हुए श्री विनोद चन्द्र पांडे, डा सत्य एवं डा श्याम
गुप्त एवं कविवर श्री त्रिवेणी प्रसाद दुबे |
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श्री सुभाष हुड़दंगी का काव्य पाठ,........ मुरली मनोहर कपूर का सम्मान |
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डा श्याम गुप्त का अगीत विधा पर वक्तव्य |
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डा रंगनाथ मिश्र सत्य का अध्यक्षीय भाषण एवं काव्य पाठ |
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काव्य गोष्ठी |
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सृजन संस्था के अध्यक्ष डा योगेश का काव्य पाठ एवं धन्यवाद ज्ञापन |
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