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Tuesday 4 August 2015

अगीत कविता विधा के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार ड़ा रंगनाथ मिश्र 'सत्य' को उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा "साहित्य-भूषण" सम्मान-2014 देने की घोषणा

        ड़ा रंगनाथ मिश्र सत्य


                       साहित्य में अगीत कविता विधा के स्थापक   "सृजन" संस्था के संरक्षक व अखिल भारतीय अगीत परिषद् के संस्थापक-अध्यक्ष देश के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रंगनाथ मिश्र 'सत्य' जी को उ.प्र. हिन्दी संस्थान ने "साहित्य-भूषण" सम्मान-2014 देने की घोषणा की।



 जीवन परिचय....
      साठोत्तरी कविता जगत में कविता की नवीन विधा अगीत के संस्थापक साहित्यकार डा रंगनाथ मिश्र सत्य का जन्म १ मार्च १९४२ को जनपद रायबरेली ( उ.प्र.) के ग्राम कुर्री सुदौली के एक संभ्रांत कान्यकुब्ज परिवार में हुआ | आपके पिता का नाम श्री रघुनन्दन प्रसाद एवं माता श्रीमती शिवानाथा देवी मिश्रा था| धार्मिक वातावरण में जन्मे डा सत्य जी अपने भाइयों में सबसे छोटे थे | अल्पायु में ही पिता का निधन होने पर प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा गाँव में ही बड़े भाइयों के संरक्षण में हुई|
        आपने कानपुर श्रमिक शिक्षा केंद्र से श्रमिक-शिक्षक का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया आगे की उच्च शिक्षा शिक्षा लखनऊ के विद्यांत डिग्री कालेज से प्राप्त की | इन्टरमीडिएट की परीक्षा के उपरांत  उ.प्र. राज्य परिवहन निगम कैसरबाग में अपनी सेवायें अर्पित कीं एवं साथ-साथ ही उच्च शिक्षा भी प्राप्त करते रहे | हिन्दी-साहित्य में परास्नातक की उपाधि लखनऊ विश्वविद्यालय से करने के उपरांत डा उषा गुप्ता के निर्देशन में ‘नए हिन्दी काव्य में कतिपय प्रमुख वाद‘ विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की | आप सन 2000 ई में उ.प्र. राज्य परिवहन निगम कैसरबाग में केंद्र प्रभारी पद से सेवानिवृत्त हुए| वे हिन्दी साहित्य परिषद् के महामंत्री तथा लखनऊ वि वि के हिन्दी विद्यार्थी परिषद् के अध्यक्ष भी रहे |
       आपका विवाह कालूखेडा उन्नाव के स्व. गंगाचरण शुक्ल की पुत्री श्रीमती कल्याणी देवी से हुआ| आपके दो पुत्र अनुराग मिश्र व आशुतोष मिश्र एवं दो पुत्रियाँ मधु व सीमा हैं| 

साहित्यिक परिचय .
       क्रान्तियुगोत्तर साहित्यकार, अगीत काव्य के प्रणेता, ‘संतुलित कहानी विधा’ के जनक एवं ‘संघीय समीक्षा पद्धति’ के अगुआ तथा आधुनिक हिन्दी कविता और वर्तमान भारत की भाषायी व सांस्कृतिक गौरव को पहचान दिलाने में समकालीन नव-साहित्यकारों व युवाओं के प्रेरणास्रोत डा रंगनाथ मिश्र ‘सत्य’ का नाम हिन्दी साहित्य जगत के लिए नया नहीं है| वाल्याकाल से ही आप कविता से जुड़े रहे | आपने तरुण साहित्यकार सम्मलेन एवं कवि कोविद क्लब के मंत्री पद से साहित्य सेवा में अमूल्य योगदान दिया | आपने सं १९६६ में साठोत्तरी कविता जगत में अतुकांत काव्य की एक नयी विधा ‘अगीत कविता’ को जन्म दिया|, १९७५ में ‘संतुलित कहानी; तथा १९९८ में ‘संघीय समीक्षा पद्धति’ का प्रचलन किया | आपका प्रथम स्वरचित काव्य संग्रह ‘बिछुड़े मीत’ १९६० में प्रकाशित हुआ| ‘कवि सोहनलाल सुबुद्ध एक परिचय’ तथा ‘ महाकवि जगत नारायण पांडे; एक परिचय ‘ आपकी अन्य लोकप्रिय कृतियाँ हैं| आपने ‘अगीत काव्य के चौदह रत्न’, ‘अगीत के इक्कीस स्तम्भ’, ‘अगीत काव्य के अष्टादश पथी’ एवं ‘अगीत के सोलह महारथी’ आदि पुस्तकों का सम्पादन किया| ‘अगीतोत्सव -89’, ‘कश्मीर हमारा है’, ‘जवानो आगे बढ़ो’ ‘पनघट’ आदि काव्य संग्रहों तथा  ‘समीक्षा पद्धति की पुस्तक गुणदोष (पार्थोसेन), लघु उपन्यास ‘सुमि’ निबंध संग्रह ‘स्वयंगंधा’, का भी संपादन किया | १९६६ से आपने लगभग १५ वर्षों तक अगीत-त्रैमासिक पत्रिका का सम्पादन किया तत्पश्चात उनके संरक्षण में ‘अगीतायन साप्ताहिक पत्र’ का लगातार संपादन किया जा रहा है| 
                  आपने दर्ज़नों पुस्तकों की भूमिका लिखी जिनमें महाकाव्य, खंडकाव्य, काव्य संग्रह भी शामिल हैं| जिनमें अगीत विधा खंडकाव्य ‘मोह व पश्चाताप’ एवं प्रथम अगीत महाकाव्य ‘सौमित्र गुणाकर ( ले.श्री जगत नारायण पांडे ) एवं  सृष्टि-अगीत विधा महाकाव्य, प्रेम काव्यगीति-विधा महाकाव्य, शूर्पणखा-अगीत-विधा काव्य-उपन्यास एवं अगीत विधा कविता के विधि-विधान पर शास्त्रीय-ग्रन्थ "अगीत साहित्य दर्पण ( ले. ड़ा श्याम गुप्त ) उल्लेखनीय हैं | 



       नियमित रूप से आपके कार्यक्रम आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होते रहते हैं| आप लगभग साढ़े चार हज़ार से अधिक साहत्यिक व सांस्कृतिक समारोहों का आयोजन संचालन व अध्यक्षता कुशल पूर्वक कर चुके हैं| प्रथम विश्व हिन्दी सम्मलेन नागपुर एवं हिन्दी सम्मलेन दिल्ली में वे अ.भा. अगीत परिषद् का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं| आपके ऊपर एक लखनऊ विशाविद्यालय द्वारा शोध-प्रबंध ‘ अगीत परिषद् साहित्यिक संस्था, एक अनुशीलन ‘ किया जा चुका है| आपको देश भर के अनेक सम्मानों व पुरस्कारों से समानित किया जा चुका है|                             


 संपर्क- अगीतायन, ई-३८८५,राजाजीपुरम,लखनऊ-१७.,दू.भा. ०५२२-२४१४८१७ ..मो.९३३५९९०४३५ ..                
                    

 

Friday 29 May 2015

गुरुवासरीय काव्य गोष्ठी २८-५-१५.... डा श्याम गुप्त ...


                              
                               साप्ताहिक गुरुवासरीय काव्य गोष्ठी दी.२८-५-१५ को डा श्याम गुप्त के आवास , सुश्यानिदी , के-३४८, आशियाना कोलोनी, लखनऊ पर संपन्न हुई | 
                 घनाक्षरी छंदों में  वाणी वन्दना से गोष्ठी का प्रारम्भ करते हुए डा श्याम गुप्त ने सातवें दशक में काव्य एवं गीत की दिशाहीनता की एतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए अतुकांत कविता में अगीत के  प्रादुर्भाव एवं आगे बढ़ने पर तथा गीत के नए कलेवर नवगीत के प्रादुर्भाव पर चर्चा की एवं अपना अगीत-गीत सुनाया--
मीत तुम गाओ  न गाओ अगीत हम गाकर रहेंगे |
मीत  मानो  या न मानो , छंद भावों में सजेंगे |

               श्री डा रंगनाथ मिश्र सत्य, श्री शीलेन्द्र चौहान, श्रीमती सुषमागुप्ता, रामदेव लाल विभोर, डा सुरेश प्रकाश शुक्ल, डा अखिलेश , श्री श्याम जी श्रीवास्तव, रवीन्द्र अनुरागी, मधुकर अस्थाना, श्री दुबे , श्री कृपाशंकर विश्वास, श्री अग्निहोत्री एवं डा श्याम गुप्त ने काव्य पाठ किया |

सुषमा गुप्ता काव्यपाठ करते हुए
श्री श्याम जी श्रीवास्तव का गीत
                उपस्थित कवियों द्वारा गंगा दशहरा, मानव आचरण एवं सामाजिक सरोकार के  विभिन्न विषयों पर गीत , गज़लें ,घनाक्षरी, सवैया  छंद , अगीत , नवगीत प्रस्तुत किये गए |
             श्रीमती सुषमा गुप्ता ने अपने उद्बोधन गीत द्वारा कवियों को नारियों के मान-सम्मान के प्रति गीत लिखने को प्रेरित करते हुए कहा--
नारियों के मान के हित , जग उठे अभिमान नर में |
आत्म के सम्मान की इच्छा उठे हर एक मन में |

            श्री अग्निहोत्री जी ने अपने गद्य में लिखे जाने वाले काव्य 'महाभारत' के अंश प्रस्तुत किये | डा रंगनाथ मिश्र सत्य ने समापन काव्यपाठ के साथ सभी कवियों के काव्य पाठ की  संक्षिप्त समीक्षा सहित भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए  आभार प्रकट किया |
डा श्याम गुप्त  काव्य पाठ करते हुए साथ में -डा सुरेश शुक्ल, मधुकर अस्थाना, रामदेव लाल विभोर, डा श्याम गुप्त, शीलेन्द्र चौहान, डा रंगनाथ मिश्र सत्य,व डा अखिलेश
रवीन्द्र अनुरागी का काव्य पाठ --श्री


.दुबे, डा श्याम गुप्त, शीलेन्द्र चौहान, डा सत्य, डा अखिलेश, कृपाशंकर विश्वास ,श्याम जी श्रीवास्तव, रवीन्द्र अनुरागी
डा सुरेश शुक्ल का काव्य पाठ
संचालन श्री मधुकर अष्ठाना द्वारा किया गया | धन्यवाद ज्ञापन  श्रीमती सुषमा गुप्ता द्वारा किया गया |

Wednesday 27 May 2015

अगीत साहित्य दर्पण... की समीक्षा ---हिन्दी प्रचारक पत्रिका वाराणसी ----डा श्याम गुप्त


                                  
                        मेरे लक्षण ग्रन्थ -----अगीत साहित्य दर्पण.... अगीत साहित्य का छंद विधान व शास्त्रीय पक्ष की समीक्षा ---हिन्दी प्रचारक पत्रिका , वाराणसी में ......

Saturday 18 April 2015

अगीत की शिक्षाशाला--कार्यशाला २७.. - नव-अगीत - डा सत्य के हाइकू ...डा श्याम गुप्त....

            अगीत की शिक्षाशाला--कार्यशाला २७.. कुछ  नव-अगीत ...

   डा रंगनाथ मिश्र सत्य के ..हाइकू ---

 

मैं जानता हूँ ,

तुम्हारी हर चाल -

पहचानता हूँ |


कहता नहीं 

लेकिन कहना भी 

नहीं चाहता |


वे लगातार 

मेरी सहज़ता की

हंसी उड़ाते हैं |


सहजता ही 

मनुज की होती है

अभिन्न मित्र |


योग करिए 

जीवन सुधारिए 

स्वस्थ रहिये |


प्राणायाम से 

मनुष्य की आयु भी 

बढ़ जाती है |


जीवन जियो 

सच्चाई के साथ ही

सुखी रहोगे |


त्याग-तपस्या

कभी भी बेकार न 

समझें मित्र |


कर्म करते 

रहिये लगातार 

सुख मिलेगा |

Monday 13 April 2015

समाज श्री सम्मान---अगीत परिषद् एवं डा रसाल स्मृति शोध संस्थान द्वारा समाज श्री सम्मान ---- डा श्याम गुप्त

समाज श्री सम्मान---अगीत परिषद् एवं डा रसाल स्मृति शोध संस्थान द्वारा समाज श्री सम्मान -----

अ.भा. अगीत परिषद् के संस्थापक अध्यक्ष डा रंगनाथ मिश्र सत्य संचालन करते हुए

सुप्रसिद्ध हास्य व्यंगकार कवि श्री सुभाषहुड़दंगी को समानित करते हुए योजना आयोग के पूर्व सदस्य डा सुल्तान शाकिर हाशमी एवं  हिन्दी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष श्री विनोद चन्द्र पांडे 'विनोद'

कवयित्री नीलम जी को समाजश्री सम्मान प्रदान करते हुए डा श्याम गुप्त एवं  डा रंगनाथ मिश्र सत्य

Wednesday 25 March 2015

अगीत कविता के तीन महारथी –



    अगीत कविता के तीन महारथी – संस्थापक...गतिप्रदायक ...उन्नायक
   
         अगीत-त्रयी
 
 
    
   



   




                अखिल भारतीय अगीत परिषद्, लखनऊ